Monday, January 4, 2010

पर्दे के पीछे - गुरू गैरी !

महेन्द्र सिंह धोनी.....टीम इंडिया के अर्जुन....जिन्होने हर मोर्च पर लगाया है....सिर्फ जीत पर निशाना.....धोनी का हर पल रणनीति बनाता दिमाग.....विरोधी टीम के हर चक्रव्यूह पर भारी पड़ता है.....और यही वजह है....कि टीम इंडिया आज जीत के एवरेस्ट पर विराजमान है.....और अगर आप सोच रहे है.....कि जीत का सारा श्रेय सिर्फ धोनी और उनके धुरंधरों को जाता है....या सिर्फ माही के मतवालों ने ही टीम इंडिया की जीत की कहानी लिखी है....तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है...क्योकि पर्दे के पीछे की कहानी तो कुछ और ही है....मैन इन ब्लू की कामयाबी में जितना बड़ा हाथ कैप्टन कूल महेन्द्र सिंह धोनी का है....उतना ही टीम के कोच गैरी कर्स्टन का....कर्स्टन द्रोणाचार्य की तरह मैदान के बाहर बैठकर चक्रव्यूह रचते है....और धोनी अर्जुन की तरह मैदान में जाकर विपक्षी टीम के चक्रव्यूह को तहस-नहस कर देते है....धोनी-कर्स्टन की जोड़ी ने कुछ ऐसा गज़ब ढ़ाया है....कि पिछले 2 सालों में टीम इंडिया ने वर्ल्ड क्रिकेट में जीत का डंका बजा दिया है....हालांकि BCCI ने नवंबर 2007 में ही कर्स्टन को कोच बनाने का फैसला कर लिया था.....लेकिन कर्स्टन ने कोच की जिम्मेदारी मार्च 2008 से संभाली। और इसके बाद ना तो बीसीसीआई को और ना ही टीम इंडिया को पीछे मुड़कर देखने पड़ा.....कर्स्टन के कोच रहते टीम इंडिया ने अबतक 18 टेस्ट मैच खेले है....जिसमें 8 में टीम इंडिया को जीत मिली.....जबकि 3 टेस्ट में हार का सामना करना पड़ा.....वहीं घरेलू और विदेशी पिचों पर भी टीम इंडिया ने 4 चार सीरीज जीतीं...जबकि 1 में हार मिली और एक बराबरी पर छूटी। और यही वजह है.....कि सिर्फ यंग प्लेयर्स ही नहीं बल्कि सचिन तेंडुलकर, कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, युवराज सिंह और वीरेंद्र सहवाग जैसे सीनियर क्रिकेटर्स भी कर्स्टन की कोचिंग के कायल हैं। कर्स्टन की कोचिंग का रंग माही के मतवालों पर इसकदर चढ़ा....कि करीब डेढ़ साल से टीम इंडिया ने कोई टेस्ट मैच नहीं गंवाया है....और जिसका तोहफा टीम इंडिया को टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन के ताज के रुप में मिला....और अब कर्स्टन की नज़र साल 2010 पर टिकी है......और अगर साल 2009 की तरह ट्वेंटी-टेन में भी धोनी-कर्स्टन का जादू चला....तो मैदान पर टीम इंडिया की बल्ले-बल्ले होने की पूरी गारंटी है......


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