Sunday, December 20, 2009

धोनी पर 2 मैचों का बैन : किया सबने पर भुगता सिर्फ धोनी ने !


धोनी को आईसीसी रेफरी ने ... मैच में देरी के लिए दो वन-डे मैचों से बैन तो किया ... लेकिन हकीकत ये है कि ये सज़ा नाज़ायज़ है। क्य़ोंकि नागपुर वन-डे में टीम इंडिया की ही तरह ... लंकाई खिलाड़ी ... यहां तक की मैदान पर खड़े अंपायर्स भी इस देरी के लिए बराबर के ज़िम्मेदार थे। लेकिन हैरानी की बात ये है कि .... आईसीसी की नज़र में सिर्फ धोनी ही गलत थे।
ये नाइंसाफी नहीं तो भला और क्या है ... क्योंकि नागपुर वन-डे में जो लेटलतीफी टीम इंडिया औऱ लंकाई टीम के तमाम खिलाड़ी मिलकर दिखा रहे थे ... उसपर बैन की सज़ा सिर्फ धोनी को दिया जाना गलत ही कहा जाएगा। मैच रेफरी जैफ़ क्रो के मुताबिक अगर नागपुर वन-डे 45 मिनट देर से खत्म हुआ ... तो उसके लिए धोनी ज़िम्मेदार थे। क्रो के मुताबिक कप्तान होने के नाते माही अपने खिलाड़ियों को ढीला और सुस्त खेल दिखाने से रोक सकते थे। लेकिन सवाल ये उठता है कि खेल के दौरान ... जैफ क्रो की नज़र सिर्फ धोनी औऱ भारतीय खिलाडियों पर हीं क्यों टिकीं थी ... आखिर क्यों मैदान पर क्रो को लंकाई खिलाड़ियों की सुस्ती नज़र नहीं आई ... आखिर क्यों मैदान पर मौजूद अंपायर्स ने लंकाई टीम के खिलाड़ियों को जल्द से जल्द गार्ड लेने के लिए नहीं पूछा। नागपुर वन-डे को दौरान रात 10 बजे का वो वक्त ... जब तक वैसे मैच खत्म हो जाना चाहिए था ... लेकिन इस वक्त लंकाई बल्लेबाज़ कादांबी अपने पैड्स कसने औऱ जूतों के लेस बांधने में वक्त ज़ाया कर रहे हैं। वक्त बीतता जा रहा था किसी को फिक्र नहीं थी ... जैसे-तैसे खेल शुरू हुआ तो अब अंपायर्स को गेंद बदलने की भी ज़रूरत महसूस हो गई। ... फिर वक्त बर्बाद हुआ ... धोनी गेंद को जल्द से जल्द बदलने के लिए चिल्लाते भी नज़र आए ... लेकिन अंपायर्स का क्या जाता है। खेल फिर शुरू हुआ ... लेकिन दो ओवर बाद अब बल्लेबाज़ मैथ्यूज़ को अपना बैट चेंज करने की याद आ गई। ... क्या मैच रेफरी इन बातों को नहीं देख रहे थे ... चलिए नहीं देखा तो कोई बात नहीं आगे देखिये क्या हुआ ... अब मैथ्यूज़ की टांग के खिंचाव आ गया ... उन्होंने दर्द के बीच लंगड़ाते हुए रनर की मांग की ... कुछ देरी के बाद रनर भी मिला ... लेकिन मैथ्यूज़ के हर बार स्ट्राइक लेने के दौरान जो लंबा वक्त लगा उसके लिए कौन ज़िम्मेदार कहा जाएगा। दरअसल लंकाई टीम के आखिरी 10 ओवरों को निकाल लिया जाए तो ... करीब 20 से 25 मिनट का खेल सिर्फ अंपायर्स औऱ लंकाई खिलाड़ियों की वजह से ज़ाया हुआ था ... इस बात से इंकार नहीं है..कि आईसीसी के कोड ऑफ कॉन्डक्ट के मुताबिक स्लो ओवर रेट के लिए फील्डिंग टीम के कप्तान को ही ज़िम्मेदार ठहराया जाता है... लेकिन देरी के लिए बराबर के ज़िम्मेदार लंकाई खिलाड़ियों को बाइज्ज़त बरी कर देना भला कहां का इंसाफ कहा जाएगा।

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