19 जनवरी (दूसरी जीत)
23 जनवरी (तीसरी जीत)
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इंग्लैंड
के खिलाफ मौजूदा सीरीज़ में टीम इंडिया को हासिल हुई तीन-तीन बेहतरीन जीत के बाद ...
ये बताने की ज़रूरत नहीं है कि मैन इन ब्ल्यू एक बार फिर फॉर्म में लौट आए हैं।
लेकिन जिस ढंग से इस सीरीज़ में धोनी के धुरंधरों ने मैदान मारा ... ये बात ज़रूर
साफ हो गई है कि अंग्रेज़ों के खिलाफ
बदले की बाज़ी में अगर धोनी ने टीम के युवा चेहरों पर ... विश्वास जताया तो वो गलत
बिल्कुल नहीं थे। टीम के वो चेहरे जिन्हें प्लेइंग-11 से
भी बाहर किए जाने की ... बातें हो रहीं थीं उन पर ना सिर्फ धोनी ने लगातार अपना
विश्वास बरकरार रखा ... बल्कि प्लेइंग इलेवन में जगह भी दी।
ये
धोनी के विश्वास औऱ प्रोत्साहन का ही नतीजा था कि कल तक सवालों के घेरे में दिख
रहे ... युवा सितारे अब सुनहरे भविष्य की तस्वीर बनकर दिखाई दे रहे हैं।
बल्लेबाज़ी से लेकर गेंदबाज़ी औऱ फिर फील्डिंग ... हर मोर्चे पर धोनी की यंग
ब्रिगेड अपने कप्तान के फैसलों को सही साबित कर रही है। जहां रहाणे, रोहित औऱ रैना बल्ले से टीम में अपनी जगह को फिर से मज़बूती
देने में जुटे हैं ... तो वहीं ईशांत, भुवनेश्वर, जडेजा औऱ अश्विन की गेंदें विरोधियों की विकेट्स झटक ... कप्तान
का हौसला मज़बूत कर रही हैं। आलम ये है कि फैन्स के साथ-साथ
... अब क्रिकेट के जानकारों को भी टीम इंडिया में एक बार फिर 2007 जैसी पुरानी भूख दिखाई देने लगी है। जहां टीम की पहली बार कप्तानी मिलने पर धोनी ने सीनियर्स को भूल ...
युवाओं को एक मकसद देकर 2011 वर्ल्डकप के लिए तैयार किया
था। ऐसे में समझा जा सकता है कि कप्तान धोनी का अगला मिशन अब 2015 वर्ल्डकप है ... जिसके लिए एक बार फिर
उन्होंने युवाओं पर ही बाज़ी खेलने का मन बनाया है। फिर जिस तरह से
महीनों जारी खराब प्रदर्शन के बाद ... युवा टीम इंडिया पूरा दम दिखाते हुए
इंग्लैंड के खिलाफ वापसी करने में कामयाब हुई है ... उम्मीद की जा सकती है कि 2015 तक यही टीम इंडिया अपने वर्ल्डकप खिताब को डिफेंड करने के
लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी होगी ।
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