
क्रिकेट की पिच पर 1300 से ज्यादा विकेट हासिल कर चुके मुथैया मुरलीधरन का नाम ... भले ही वर्ल्ड क्रिकेट के बल्लेबाज़ों के लिए खौफ का दूसरा नाम हो ... लेकिन क्रिकेट की पिच से दूर ... मुरली की शक्सियत ऐसी है जिसे इंसानियत की ज़िंदा मिसाल कहा जाए तो गलत नहीं होगा। आपने क्रिकेटर्स की चैरिटी के बारे में अक्सर सुना होगा ... अपने बल्लों, वक्त की नीलामी करके गरीबों की मदद करते हुए भी आपने कई क्रिकेटर देखे होंगे ... लेकिन निजी ज़िंदगी में जो मजबूर औऱ बेसहारा लोगों का हमदर्द बन जाए ... ऐसी शक्सियत शायद ही आपने देखी होगी। दरअसल मुरलीधरन ऐसे ही नेकदिल फरिश्ते का नाम है ... श्रीलंका के गॉल शहर से बाहर बसे
सीनीगामा नाम का गांव आज इसलिए ज़िंदा है क्योंकि इस पूरे गांव के रहनुमा मुरलीधरन हैं। दरअसल 2004 में आई सुनामी से बाद ... श्रीलंका का ये गांव पूरी तरह बर्बाद हो गया था ... बल्कि सुनामी ने इस गांव की करीब-करीब पहचान ही मिटा दी थी। लेकिन मुरलीधरन ने इस गांव को फिर से बसाने का फैसला किया ... उन्होंने गांव को अपनाया औऱ इसे फिर से पटरी पर लाने के लिए ... कई चैरिटी फाउंडेशन्स खोल दिए...2004 में आई सुनामी के बाद ... इस गांव के ज़्यादातर लोगों का जिंदगी पर से विश्वास उठ गया था ... लेकिन मुरली ने ना सिर्फ उनकी इस सदमे से उबरने में मदद की ... बल्कि स्कूल से लेकर अस्पताल भी खुलवाए ...जिससे सीनीगामा गांव की ज़िंदगी फिर से खुशहाल हो सके। शायद यही वजह है कि सीनीगामा गांव का बच्चा-बच्चा आज मुरली को एक क्रिकेटर से पहले भगवान का दर्जा देने में विश्वास रखता है। हकीकत में सीनीगामा गांव का अगर आज वजूद ज़िंदा है ... तो मुरलीधरन की उन कोशिशों की बदौलत ...जिसे उनके अलावा औऱ कोई अंजाम दे भी नहीं सकता था।
सचिन, द्रविड़, धोनी सीखो कुछ... कब तक अपनी तोहफे में मिलने वाली फेरारियों के लिए भी टैक्स फ्री की भीख मांगते रहोगे या अपने दोस्त को अपनी हैसियत के हिसाब से बहुत कम धन देकर अपना नाम अखबारों में निकलवाओगे???
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