Tuesday, August 11, 2009

गोल्डेन ब्वाय अभिनव बिंद्रा


11 अगस्त का दिन भारतीय खेल इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज है। यही वो दिन था जब मिट्टी के एक लाल ने खेलों के सबसे बड़े महाकुंभ ओलंपिक में देश का नाम रौशन किया था। और आज यानी 11 अगस्त को पूरा देश उस सपूत की उपलब्धि की सालगिरह मनाने जा रहा है।

28 सतंबर ....1982 को जिरकपुर पंजाब में जन्मे..अभिनव बिंद्रा को बचपन से ही शूटिंग से बड़ा लगाव था....उनकी इसी दिलचस्पी को देखते हुए अनके पिता ने अपने घर पर भी अभिनव के लिए एक शूटिंग रेंज़ बनवाई ..जबरदस्त मेहनत...और कुछ हासिल करने का जज्बा....अभिनव बिंद्रा की इसी लगन ने उन्हे 2000 ओलंपिक गेम्स की 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में भारत को रिप्रेंज़ट करने का मौका दिया.....18 साल के बिंद्रा उस वक्त भारत के सबसे युवा एथलीट थे......लेकिन अभिवन के भाग्य का सूर्यउदय हुआ 2002 मेनचेस्टर कॉमनवेल्थ गेम्स में ...जहां ...अभिनव ने अपने अचूक निशाने की बदौलत ..एक गोल्ड और और एक सिल्वर मेडल पर कब्ज़ा किया....इसके बाद 2004 एथेंस ओलंपिक में अभिवन फिर से निसाना लगाने को तैयार थे...लेकिन इस बार मानो किस्मत उन्से रुठ गई ...वर्ल्ड रिंकॉर्ड बनाने के बावजूद भी ..अभिनव ...मेडल हासिल करने मे नाकाम रहे....और टूट गया भारतीय उम्मीदों का सपना....लेकिन अभिवन ने हार नही मानी... साल 2006 में वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल करके अभिनव ने अपने इरादे जाहिर कर दिए... अब लक्ष्य था तो सिर्फ ओलंपिक में परचम लगराने का ......अभिनव ने जर्मनी में मिशन ओलंपिक पर काम करना शुरु कर दिया...सालो की कड़ी मेहनत और शऊटिंग रेज़ में बिताए हज़ारो-लाखो पल एक लक्ष्य कोहालिस करने की चाहत...साल 2008 ...आखिरकार वो घड़ी भी आई...जिसका इंतज़ार भारतीय खेल प्रेमियों को 112 सालों से था...अभिनव बिद्रा के बुल्स आई पर निशाना लगाते ही...पूरा हो गया भारतीय उम्मीदों का सपना ... देश में जश्न का मौहौल था...और भारत को मिल चुका था ...उसका गोल्ड ब्वाय....

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